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ज़िन्दगी गुलज़ार है

३१ मार्च – कशफ़

आज तीसरी दफ़ा ज़ारून जुनैद से मेरा सामना हुआ है और मैं सोच भी नहीं सकती थी कि ये शख्स इस क़दर ढीढ है.

आज मैं सर अबरार से मिलने उनके घर गयी थी. हम लोग चाय पी रहे थे, जब वो आया था. मेरे लिए उसकी आमद परेशान-कुन (परेशान करने वाला) थी.

अस्सलामु’अलैकुम सर!” ये कह कर वो मेरे क़रीब कुर्सी खींच कर बैठ गया.

कैसी हैं कशफ़ आप?” उसने मुझे मुखातिब किया और मैंने उसकी बात अनसुनी कर दी.

चाय पिओगे?” सर अबरार ने उससे पूछा था.

व्हाई नॉट. मैं तो खाना भी खा लूंगा, अगर आप खिलायेंगे तो.”

सर अबरार ने मुलाज़िम को बुलवा कर एक कप और लाने को कहा था.

तुम्हारी पोस्टिंग हो गयी है?”

हाँ अभी फिलहाल इस्लामाबाद ही करवाई है, कुछ दिनों तक जा रहा हूँ.”

बहुत अहमक़ हो. पाकिस्तान में पोस्टेड होकर तुम वक़्त ज़ाया कर रहे हो.” सर अबरार उसे डांट रहे थे और वो मुस्कुरा रहा था.

बस ऐसे ही सर! कुछ अरसा पाकिस्तान में भी गुज़ारना चाहता हूँ. कशफ़ आप आज कल क्या कर रही हैं?”

उसने सर अबरार के सवाल का जवाब देते-देते अचानक मुझसे पूछा था और मेरा जी चाहा था चाय का कप उसके मुँह पर दे मारूं. वो यूं पोज़ कर रहा था, जैसे मुझसे पहली बार मिला था. इस बात के जवाब में मैं चाय का कप रख कर खड़ी हो गयी.

ओके सर! अब मैं चलती हूँ.” सर अबरार ने हैरत से मुझे देखा था.

तुम्हारा इरादा तो आज यहाँ सा-पहर (दोपहर) तक रुकने का था और तुम्हें लंच भी मेरे साथ करना था. अब मुँह उठा कर खड़ी हो गयी हो.” सर अबरार नाराज़ हो गये.

सर मुझे कुछ काम याद आ गया है, इसलिए जाना चाह रही हूँ.”

तुम शायद ज़ारून की वजह से जाना चाह रही हो.” सर अबरार असल वहज भांप गए थे.

नहीं सर! मुझे वाकई में कुछ काम है.” मैंने उन्हें मुतमइन (संतुष्ट) करना चाहा.

बैठ जाओ कशफ़ मुझे नहीं पता था तुम इतनी अहमक़ हो. तुम दोनों के दरम्यां वो मामला खत्म करवा चुका हूँ. अब तुम लोगों को अच्छे क्लास फेलो की तरह बिहेव करना चाहिए. बस अब बैठ जाओ तुम.”

मैं सर अबरार को नाराज़ नहीं करना चाहती थी, इसलिए ख़ामोशी से बैठ गयी. ज़ारून बड़े इत्मिनान से चाय के सिप ले रहा था. सर अबरार ने हम दोनों का एक दूसरे से तारूफ करवाया.

कॉलेज के बाद तो आज शायद पहली बार मुलाक़ात हो रही है.” उसने मुस्कुराते हुए पूछा था और अगर सर अबरार न होते, तो मैं कुछ न कुछ उसके सिर पर ज़रूर दे मारती.

हाँ शायद” मैंने नागवारी से कहा था. कुछ देर बाद जब सर अबरार खाने के बारे में पता करने के लिए उठ कर गए, तो उनके कमरे से निकलते ही उसने कुर्सी मेरी तरफ़ घुमा ली.

क्या हाल चाल हैं आपके?”

मेरे हाल चाल बिल्कुल ठीक-ठाक हैं. ख़राब शायद तुम्हारे हो जायेंगे, अगर तुम्हारे यही तौर तरीक़े रहे तो.”

वो मेरी बात पर हँस पड़ा था, “वैरी फनी. अच्छी लगी मुझे आपकी बात.”

तुमने तो मुझे ऐसी ताक़त दिखाई थी, मैं तो उस दिन से अपनी मु’अत्तली (निलंबन) के आर्डर के इंतज़ार में थी.” मैंने उस पर तंज़ किया था, मगर वो फिर हँस पड़ा.

यार! वो बस गुस्से में.”

मुझे यार मत कहो. इस किस्म की बेहूदगी गुफ़्तगू पसंद नहीं है मुझे.”

ओके ओके” उसने सरेंडर करने के अंदाज़ में हाथ उठाये थे, “मिस कशफ़ मुर्तज़ा बल्कि योर एक्सेलेंसी मिस कशफ़ मुर्तज़ा. अब ठीक है?”

इससे पहले कि मैं कोई जवाब देती सर अबरार कमरे में आ गये थे. लंच के बाद मैं वहाँ से वापस आ गयी थी.

ये शख्स मेरी समझ से बाला-तर (दूर) है और उसका रवैया उससे भी अजीब है. किस क़दर अहमक़ और बदकिस्मत है उसकी बीवी, जिसे ऐसा शौहर मिला है, मुकम्मल करप्ट और बड़ी हद तक कमीना. 

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2 Comments

Radhika

09-Mar-2023 04:17 PM

Nice

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Alka jain

09-Mar-2023 04:05 PM

👌👍🏼

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